Download Shree Ram Raksha Stotra PDF| श्री राम रक्षा स्तोत्र PDF |Ram Raksha Stotra in Hindi PDF 100% Free

Shree Ram Raksha Stotra PDF: आप यदि श्री राम रक्षा स्त्रोत का पीडीऍफ़ (Shree Ram Raksha Stotra PDF) हिंदी में पढ़ना चाहते हैं, तो आप बिना किसी समस्या के यहां पढ़ सकते हैं। इसके अलावा, आप इसे अपने फोन या कंप्यूटर में भी डाउनलोड और सेव कर सकते हैं। श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में पीडीऍफ़ (Ram Raksha Stotra in hindi PDF) फॉर्मेट में उपलब्ध है, जिससे आपको पढ़ने में सहूलियत होगी। आशा है कि आप इसे पढ़कर अपने जीवन में पूजा-अर्चना में इसका सही उपयोग कर सकेंगे।

Ram Raksha Stotra in Hindi PDF :-भारतीय संस्कृति में श्री राम रक्षा स्त्रोत को एक बहुत ही महत्वपूर्ण और शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति ने भी श्री राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra in Hindi PDF) को अपने हृदय में स्थान दिया और उसे समझ कर जपा, भगवान श्री राम उसकी सर्वांगीण सुरक्षा करते हैं।

इसे भजने से व्यक्ति के जीवन में संपत्ति, यश और सम्मान में वृद्धि होती है। साथ ही, जीवन में जो भी समस्याएँ आ रही होती हैं, वह समाप्त हो जाती हैं। श्री राम रक्षा स्तोत्र को सही मनोभाव से और प्रभु श्री राम के प्रति अटूट विश्वास के साथ पढ़ने पर व्यक्ति के जीवन में अनेक शुभ परिणाम देखने को मिलते हैं।

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Shree Ram Raksha Stotra PDF
Shree Ram Raksha Stotra PDF

भगवान श्री राम रक्षा स्त्रोत के चमत्कार : Shree Ram Raksha Stotra PDF


Shree Ram Raksha Stotra PDF: श्री राम रक्षा स्त्रोत को विशेष तरीके से एक अद्वितीय और शक्तिशाली मंत्र के रूप में माना जाता है, जिसमें असीम शक्तियां निहित हैं। यह स्त्रोत वह साधना है जो अगर किसी व्यक्ति ने अपने जीवन में सही भावना के साथ अपनाई, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।

राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते समय जो भी व्यक्ति अपनी सम्पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा से भगवान श्री राम जी को स्मरण करता है, उसके जीवन में अद्वितीय परिवर्तन आता है। यह स्त्रोत केवल एक साधना नहीं है, बल्कि वह साधना है जिसके माध्यम से हम अपने आप को श्री राम जी की शरण में समर्पित कर सकते हैं।

जो भी व्यक्ति श्री राम रक्षा स्त्रोत को सही मायने में समझता है और उसे कंठस्थ करता है, वह सभी कठिनाइयों को आसानी से पार कर सकता है। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो व्यक्ति इसे भगवान श्री राम जी की सच्ची भक्ति और श्रद्धा में पढ़ता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसलिए, यह न केवल एक मंत्र है बल्कि एक जीवन दर्शन भी है, जिसे हमें अपनाना चाहिए।

राम रक्षा स्त्रोत के माध्यम से हम अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रगति प्राप्त कर सकते हैं, चाहे वह धनिक, शारीरिक या आध्यात्मिक हो। इसका मात्र पाठ करने से ही जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

श्री राम रक्षा कवच की सिद्धि की विधि

राम रक्षा कवच की सिद्धि के लिए अनुस्ठान बहुत ही साधारण है। अगर आप चाहते हैं कि भगवान श्री राम का कवच आप पर संपूर्णत: प्रभावित हो, तो नवरात्रि के शुभ अवसर पर यह अनुष्ठान शुरू करें। इस दौरान, प्रतिदिन सुबह के ब्रह्मा मुहूर्त में जल्दी उठना होगा और उस समय तक आराम से सोने की आदत को त्याग देना होगा।

सुबह जब आप उठें, तो ठंडे पानी से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद, अगर आपके पास कुशा आसन है तो उस पर पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन में ध्यान और साधना की स्थिति में बैठें। यदि कुशा आसन उपस्तित नहीं है, तो कोई भी आरामदायक आसन पर बैठ सकते हैं।

जब आप स्थिर हो जाएं, तो अपने मन को भगवान श्री राम में लगाएं और उनके प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा को जागृत करें। इस अनुष्ठान के दौरान राम रक्षा स्त्रोत का पाठ कम से कम 11 दिनों तक या अगर संभव नहीं हो, तो 7 दिनों तक करें। यह माना जाता है कि जितनी गहरी आपकी भक्ति होती है, भगवान श्री राम जी उसे देखते हैं और उतना ही आपको आशीर्वाद मिलता है।

Shree Ram Raksha Stotra PDF Overview

 🔖 PDF NameShree Ram Raksha Stotra PDF
 🗣️ LanguageHindi – Sanskrit
📖  No. of Pages26 Pages
📔 PDF Size2.3 MB
 ⭐ Ratings4.8/5
 📚 CategoryReligion & Spirituality
📉 QualityHD Quality
 🔥 Sourcesgoogle drive
Shree Ram Raksha Stotra PDF

श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् PDF –Shree Ram Raksha Stotra Lyrics in Hindi | Shree Ram Raksha Stotram PDF in Hindi

|| विनियोग: ||

श्रीगणेशायनम: ।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषि: ।
श्रीसीतारामचंद्रोदेवता अनुष्टुप् छन्द: सीता शक्ति: ।
श्रीमद्‌हनुमान् कीलकम् ।
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥

राम रक्षा स्तोत्र का सृजन बुध कौशिक ऋषि ने किया था। इस मंत्र में, श्री सीता और रामचंद्र को देवता के रूप में माना गया है और इसकी रचना अनुष्टुप छंद में है। जब हम इस स्तोत्र का जप करते हैं, तो सीता माता को इसकी शक्ति के रूप में देखा जाता है और हनुमान जी को इसकी कीलक माना जाता है। मुख्य उद्देश्य इस स्तोत्र का पाठ करने का है श्री रामचंद्र जी की प्रसन्नता प्राप्त करना। यही वजह है कि राम रक्षा स्तोत्र का जप किया जाता है। इस स्तोत्र के माध्यम से भक्त अपनी भक्ति और आस्था को प्रकट करते हैं।

॥ अथ ध्यानम् ॥

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्‌मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥

वामाङ्‌कारूढ-सीता-मुखकमल-मिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्‌कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम् ॥

जिनके हाथ में धनुष और बाण सजे हैं, जो पद्मासन की स्थिति में शांत रूप से बैठे हैं, और जिन्होंने पीताम्बर को अपने परिधान के रूप में धारण किया है, जिनकी आँखों का चमक नवीन कमल के पंखुड़ियों से भी अधिक प्रकाशित है, जो पूरी तरह संतुष्ट और प्रसन्न हैं, और जिनके बाएं ओर सीता बैठी हैं जिनका मुख फूलों के जैसा सुंदर है, और जिनका वर्णन मेघ जैसा श्याम है, ऐसे अद्भुत आभूषणों वाले, जटाधारी श्री राम को मैं समर्पित करता हूँ।

॥ इति ध्यानम् ॥

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥

श्री रामचंद्रजी की कथा अत्यधिक विस्तृत है, जिसका परिमाण अगणित है। उस कथा में प्रत्येक अक्षर में ऐसी शक्ति निहित है कि वह महापापों को समाप्त कर देता है। इसी अद्भुत शक्ति का चित्रण श्री राम रक्षा स्तोत्र में भी किया गया है।

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥२॥

नीलकमल जैसे श्याम रंग के, कमल की तरह सुंदर आँखों वाले, जिनकी माथा पर जटा की मुकुट सी आभूषण से विभूषित हैं, और जो सीता माता और लक्ष्मण जी के साथ हैं, ऐसे परम पावन भगवान श्री राम की याद में ध्यान मग्न होता हूँ। यही भावना श्री राम रक्षा स्तोत्र में प्रकट होती है।

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥

मैं वह राम रक्षा स्तोत्र पढ़ता हूँ जो सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है और सभी बुराइयों और पापों का समूल नाश कर देता है। राघव मेरे माथे की सुरक्षा करते हैं और दशरथ जी के बेटे मेरी मस्तक की रक्षा करें।

रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥

मैं वह राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करता हूँ जो हर इच्छा को पूरा करता है और सभी बुराइयों और पापों को दूर करता है। श्री राघव मेरे मस्तक की सुरक्षा करते हैं और दशरथ जी के लाड़ले पुत्र मेरी ललाट की हिफाजत करें।

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥

कौशल्या जी के प्यारे पुत्र मेरी आँखों की सुरक्षा करें, जिन्हें विश्वामित्र महर्षि बहुत प्रिय थे वह मेरे कानों की रक्षा करें, जो यज्ञ की हिफाजत करते थे वह मेरे नाक की और सुमित्रा जी के लाड़ले पुत्र मेरे मुँह की सुरक्षा करें।

जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥

मेरी जीभ की सुरक्षा विधाता श्रीराम करें, जिसे भरत जी महानता से पूजते थे, वह मेरे गले की रक्षा करें। मेरे कंधों की सुरक्षा करने वाले दिव्य आयुधधारी और मेरी बाहों की सुरक्षा करने वाले, जो महादेव का धनुष भंग कर दिया था, वही श्रीराम रक्षा करें।

करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥

मेरे हाथों का संरक्षण सीता के पति श्रीराम करें, मेरे हृदय का पहरा वही दें जिसने जमदग्नि के बेटे परशुराम को परास्त किया, मेरे पेट की मध्य भाग की रक्षा वह करें जिसने राक्षस खर को मारा और मेरी नाभि का संरक्षण वही श्रीराम करें जिन्होंने जांबवान को आश्रय दिया।

सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥८॥

मेरी कमर का संरक्षण सुग्रीव के मित्र और स्वामी श्री राम करें, हडियों की रक्षा हनुमानजी के प्रभु श्री राम करें और जो सभी राक्षसों का संहार करने वाले हैं और रघुकुल में सर्वोत्तम हैं, वही मेरी जाँघों की सुरक्षा करें।

जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्‌घे दशमुखान्तक: ।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामो खिलं वपु: ॥९॥

सेतु बनाने वाले श्री राम मेरे घुटनों की सुरक्षा करें, जिन्होंने रावण को परास्त किया वह मेरी अग्रजंघा की रक्षा करें, जिन्होंने विभीषण को राज्य दिया, वही मेरे पैरों की सुरक्षा करें और पूरे शरीर की रक्षा भगवान श्री राम करें।

एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत् ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥१०॥

जो व्यक्ति शुभ काम में रंगा हुआ है और वह श्रद्धा और भक्ति से राम की शक्ति के साथ इस स्तोत्र का पठन करता हैं, तो वह लंबी उम्र पाता है, सुख में रहता है, पुत्र की प्राप्ति होती है, जीत अधिक पाता है और सजीवन में विनम्रता बनी रहती है।

पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्‌मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥

जो प्राणी पाताल, पृथ्वी और आकाश में इधर-उधर घूमते रहते हैं या किसी अन्य रूप में छुपे रहते हैं, वे राम नाम की शक्ति से संरक्षित व्यक्ति को बिल्कुल भी नहीं देख पाते हैं।

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥

राम, रामभद्र और रामचंद्र जैसे पवित्र नामों का जप करने वाला व्यक्ति पाप से मुक्त रहता है। और वह सिर्फ भक्ति ही नहीं, मोक्ष भी प्राप्त करता है।

जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ॥१३॥

जो व्यक्ति राम नाम की शक्ति से जगत पर प्रभाव डालने वाले इस मन्त्र को अपने हृदय में स्थान देता है, वह सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त कर लेता है।

वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥१४॥

जो व्यक्ति ‘वज्रपंजर’ नामक राम कवच को मन में धारण करता है, उसकी बातें कोई भी ताक में नहीं लेता और वह हमेशा सफलता और शुभता की दिशा में बढ़ता रहता है।

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥

सपने में भगवान शिव के निर्देश पर बुधकौशिक ऋषि को प्रेरित होकर, जब वह सुबह जागे, उन्होंने इस स्तोत्र को संजीवनी शक्तियों के साथ लिखा। जिसे हम ‘श्री राम रक्षा स्तोत्र’ के रूप में जानते हैं।

आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु: ॥१६॥

जिनका आश्रय कल्पवृक्ष के उपवन की तरह सुख-शांति प्रदान करता है, जो सभी संकटों और विपत्तियों को मिटा देने वाले हैं, और जो तीनों जगतों में अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं, वही श्रीराम हमारे स्वामी हैं।

तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥

जो जवान, आकर्षक, नाजुक, शक्तिशाली और कमल की भांति बड़ी आँखों वाले हैं, वे साधुओं की भांति वस्त्र और काले हिरण की खाल पहनते हैं।

फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥

जो फल और जड़ों को खाने वाले हैं, जो संयत शील, तपस्या में लगे और ब्रह्मचार्य पालन करते हैं, ऐसे दशरथ के लाल राम और उनके भाई लक्ष्मण हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी लें।

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥

ऐसे महाशूर रघुकुल प्रमुख, जो मर्यादा के आदर्श हैं, हर प्राणी की शरण में आने वाले, सभी तीरंदाजों में अग्रणी और राक्षस समुदाय का पूर्ण विनाश करने में सक्षम हैं, वह हमें सुरक्षित रखें।

आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग सङि‌गनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥२०॥

धनुष को तैयार किए, बाणों को छू रहे, अक्षय बाण से लदी हुई तीरकोष लिए हुए राम और उनके भाई लक्ष्मण मेरे साथ मेरी सुरक्षा में आगे बढ़ें।

संनद्ध: कवची खड्‌गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्‌ मनोरथो स्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥

हमेशा सजग, कवच पहने हुए, हाथ में तलवार और धनुष-बाण संग लिए, युवा रूप में भगवान राम और उनके अनुज लक्ष्मण आगे-आगे चलते हुए हमारी सुरक्षा के लिए तैयार रहें।

रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥

भगवान शिव ने कहा है कि श्रीराम, जो दाशरथ के पुत्र हैं, वीर, जिन्होंने लक्ष्मण की सहायता की, बली, जो काकुत्स्थ वंश में जन्मे, पुरुष, सम्पूर्णता से परिपूर्ण, जो कौसल्या के पुत्र हैं और रघु वंश में सबसे उत्तम हैं।

वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम: ॥२३॥

जिन्हें वेदांत से जाना जाता है, जो यज्ञों के स्वामी हैं, सदीयों पुराने परंतु अब भी पुरुषोत्तम माने जाते हैं, जिन्हें जानकी अपना प्रिय मानती है, जो श्रीमान और जिनकी अप्रमेय शौर्यशाली वीरता है।

इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्‌भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥’

जो व्यक्ति आदि नामों का प्रतिदिन और श्रद्धा के साथ जप करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ से भी ज्यादा लाभ होता है, और इस बात में किसी भी प्रकार का संदेह नहीं है।

रामं दूर्वादलश्यामं पद्‌माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥

दूर्वा की पत्तियों जैसे श्याम रंग में, कमल की तरह की आंखों वाले और पीले वस्त्र पहने हुए श्रीराम के उपर्युक्त पवित्र नामों की प्रशंसा करने वाला व्यक्ति संसार की भाग-दौड़ में नहीं उलझता।

रामं लक्ष्मण-पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम् ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।

राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥२६॥

लक्ष्मण के प्रिय अधिक भाई राम, सीता माता के जीवन संगी, राजा दशरथ के कुल में जन्मे, अत्यंत दयालु, अनगिनत गुणों से संपन्न, ब्राह्मणों के अधिक पसंदित, सच्चे धर्म का पालक, सब राजाओं में श्रेष्ठ, सत्य के मार्ग पर चलने वाले, दशरथ जी के संतान, नीला जैसे आकार में, पूर्ण शांति के स्वरूप, सभी लोकों में प्रशस्त, रघु वंश की शान, राघव और रावण के मुख्य विरोधी भगवान राम का मैं प्रणाम करता हूँ।

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥

राम, श्रीरामचंद्र, भगवान रामभद्र, सृष्टि के विधानकर्ता, रघुकुल श्रेष्ठ, प्रभु और जानकी माता के पतिदेव को मैं नमन करता हूँ।

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥

हे रघुकुल वीर श्रीराम! हे भरत के प्रिय बड़े भाई भगवान राम! हे योद्धा और मर्यादा के प्रतीक श्रीराम! कृपया मुझ पर अपनी शरण प्रदान करें।

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥

मैं पूरे मन से श्रीरामचंद्रजी के पवित्र चरणों को स्मरण कर रहा हूँ। अपनी वाणी से श्रीराम के चरणों की स्तुति करता हूँ और पूरी आस्था के साथ भगवान रामचन्द्र के चरणों में नमन करता हूँ। मैं उनके दिव्य चरणों में शरण चाहता हूँ।

माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र: ।

सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर् ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥

श्रीराम मेरे जीवन के मार्गदर्शक, मेरे गर्धन की ओजस्विनी माला और मेरे ह्रदय के सखा हैं। वे ही मेरा आधार और सब कुछ हैं। ऐसे दयालु श्रीराम को ही मैं मानता हूँ, और उनके अलावा मेरी नजर में कोई दूसरा नहीं।

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ॥३१॥

जिनके दायीं तरफ लक्ष्मण जी, बायीं तरफ सीता माता और आगे हनुमान जी प्रतिष्ठित हैं, मैं उन्हीं रघुकुल नायक जी की आराधना करता हूँ।

लोकाभिरामं रणरङ्‌गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरन्तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥

मैं सम्पूर्ण लोकों में अत्यधिक सुरुचि और युद्ध में निर्भीक, कमल जैसी आंखों वाले, रघुकुल के महान वीर, दया का सागर और करुणा के अखिल भण्डार श्रीराम की आश्रय में हूँ।

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥

जिनकी चाल मन की तरह तेज और जिनकी गति वायु जैसी शीघ्र है, जो सम्पूर्ण इंद्रियों पर विजयी और सभी ज्ञानियों में अग्रणी हैं, वायु देव के संतान, वानर सेना के leader श्रीराम के प्रेरित (हनुमान) के चरणों में मैं आश्रय प्राप्त करता हूँ।

कूजन्तं राम-रामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥३४॥

कविता भरी शाखा पर बैठा, सुंदर अक्षरों से लिखे गए ‘राम-राम’ इस अमृत नाम को गाते हुए, मैं वाल्मीकि जैसे कोयल की स्तुति करता हूँ।

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥

मैं सभी लोकों में विराजमान श्री राम के प्रति बार-बार नमन करता हूँ, जो समस्त मुश्किलों को दूर करते हैं और सुख-संपत्ति की प्रदान करने वाले हैं।

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥

‘राम-राम’ के उच्चारण से व्यक्ति की सारी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं। वह जीवन में सभी प्रकार की समृद्धि और सुख-संपत्ति को पाने लगता है। ‘राम राम’ के नाम की महिमा से यम के दूत भी हमेशा डरते रहते हैं।

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे,
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम् ,
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥

‘जो सभी राजाओं में सबसे अद्वितीय हैं, वह श्रीराम हमेशा प्रत्येक संघर्ष में विजयी बनते हैं। मैं ऐश्वर्य के स्वामी, श्रीराम की स्तुति करता हूँ। वे ही हैं जिन्होंने पूरी राक्षस सेना का विनाश किया। मेरे नजर में, श्रीराम के जैसा संजीवनी प्रदान करने वाला कोई दूसरा नहीं है। मैं तो उनके चरणों का सेवक हूँ। मेरी प्रार्थना है कि मैं हमेशा उनमें ही समाहित रहूँ। हे श्रीराम! कृपा करके मुझे इस संसारिक जीवन से मुक्ति प्रदान करें।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥

(भगवान शिव पार्वती जी से बोलते हैं) हे पार्वती! ‘राम’ का नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के बराबर महान है। मैं हर समय राम की प्रशंसा करता हूँ और राम नाम में ही मगन रहता हूँ।

॥ इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥

॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥

Shree Ram Raksha Stotra PDF Video

निष्कर्ष :-Shree Ram Raksha Stotra PDF

आजकल के समय में, लोग अपने जीवन से संबंधित समस्याओं का समाधान धार्मिकता में ढूंढते हैं। इसी प्रकार, हम आपको भगवान श्री राम का रक्षा स्त्रोत (Shree Ram Raksha Stotra PDF) प्रदान कर रहे हैं। इस स्तोत्र की मदद से आप अपने जीवन की मुश्किलों और विपरीत परिस्थितियों से मुक्ति पा सकते हैं।

राम रक्षा स्त्रोत मानवता के लिए एक अनमोल उपहार है, जो आपको जीवन की चुनौतियों से निपटने की शक्ति प्रदान करता है। इस स्त्रोत के बारे में यहां पर संक्षेप में बताया गया है।

हमारे पास भगवान श्री राम रक्षा स्त्रोत (श्री राम रक्षा स्तोत्र PDF – Shree Ram Raksha Stotra PDF) के अलावा अन्य धार्मिक प्रकरण और मंत्रों की पीडीएफ भी है। जो लोग इस प्रकार की अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, वे हमारी वेबसाइट पर जा सकते हैं।



FAQs : Shree Ram Raksha Stotra PDF

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